कल दिल के धड़कन ने दस्तक दी I
तुम्हारे बदन की सोंधी खुशबू
हँसीके एक झोंके पर सवार,
मन के झरोखे में से आकर,
कुछ सोयी यादें जगा गयी I
कल दिल के धड़कन ने दस्तक दी I
वर्ना जबसे सपने भी
इन फूलों के रंग लिये फरार हुए,
इस वीरान खंडहर में
आसकी बूँद की टपक भी
कहीं गूंजती नहीं I
3 comments:
तू फार चांगले लिहीतेस शुभा.सारखे सारखे वाचावेशे वाटते . माझ्या लीहिण्यात फक्त गती असते तुझ्या लिहीण्यात खोल वर जायची शक्ती आहे . अप्रतिम
Thanks so much Neelesh . Your Poetry is very moving and evocative . I know a lot of us admire your style .
KYaa baat hia Shubha ji. :)
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